We a good story
Quick delivery in the UK

Main Aur Main

About Main Aur Main

रचनात्मकता का पल्लवन बेल की तरह आधार चाहता है, भले ही कैसा भी हो बस आकाश की ओर अवलम्बित, जिसके सहारे ऊँचाइयाँ पाई जा सकें । मैं और मैं इन्हीं भटकाते आधारों का अन्तर्द्वन्द्व है । मृदुला गर्ग का यह उपन्यास अपने भीतर के जगत को सच की तपिश से बचाने की प्रवृत्ति को भी रेखांकित करता है, क्योंकि सत्य से साक्षात्कार करें तो भीतर अपराधबोध पनपता है और झूठ में शरण लेने की लालसा--- । मैं और मैं कहानी है मृदुला गर्ग के दो कलात्मक और सशक्त पात्रों-कौशल कुमार और माधवी-के बनते-टूटते सामाजिक और नैतिक आग्रहों की । लेखिका के अनुसार, क्या था माधवी और उसके बीच ? उसके नहीं, माधवी और उसके पति के बीच ? कौशल जैसे प्याले में गिरी मक्खी हो । उसे देखकर वे चीखे नहीं थे, यह उनकी शालीनता थी । मक्खी पड़ा प्याला अलग हटाकर अपने-अपने प्यालों से चाय पीते रहे थे । लग रहा था वे अलग-अलग नहीं, एक ही प्याले से चाय पी रहे हैं और कौशल छटपटाकर बाहर निकल गया है । भिनभिन करके पूरी कोशिश कर रहा है कि उनके सामीप्य में अवरोध पैदा कर दे, पर उसकी भिनभिनाहट उनका मनोरंजन कर रही है, सामीप्य का गठबन्धन और मजबूत कर रही है । जुगुप्सा, वितृष्णा, हिंसा कुछ भी तो नहीं था, जो उसके अस्तित्व-बो/ा को बनाए रखता । एक ओर कौशल का अपने अतीत के लिए समाज को दोषी ठहराना और इस तर्क की बिना पर समाज की भरपूर अवहेलना, वहीं माधवी का समाज की खौफनाक होती शक्ल में अपनी चुप्पी को जिम्मेदार मानना । बाद में कौशल की नजदीकी से वह स्वीकारती है कि सृजन के लिए सब कुछ जायज है, मानवीय रिश्तों का बेहिस्स इस्तेमाल भी--- ।

Show more
  • Language:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9788126725762
  • Binding:
  • Hardback
  • Pages:
  • 242
  • Published:
  • December 31, 2015
  • Dimensions:
  • 140x18x216 mm.
  • Weight:
  • 454 g.
Delivery: 2-3 weeks
Expected delivery: December 12, 2024

Description of Main Aur Main

रचनात्मकता का पल्लवन बेल की तरह आधार चाहता है, भले ही कैसा भी हो बस आकाश की ओर अवलम्बित, जिसके सहारे ऊँचाइयाँ पाई जा सकें । मैं और मैं इन्हीं भटकाते आधारों का अन्तर्द्वन्द्व है । मृदुला गर्ग का यह उपन्यास अपने भीतर के जगत को सच की तपिश से बचाने की प्रवृत्ति को भी रेखांकित करता है, क्योंकि सत्य से साक्षात्कार करें तो भीतर अपराधबोध पनपता है और झूठ में शरण लेने की लालसा--- । मैं और मैं कहानी है मृदुला गर्ग के दो कलात्मक और सशक्त पात्रों-कौशल कुमार और माधवी-के बनते-टूटते सामाजिक और नैतिक आग्रहों की । लेखिका के अनुसार, क्या था माधवी और उसके बीच ? उसके नहीं, माधवी और उसके पति के बीच ? कौशल जैसे प्याले में गिरी मक्खी हो । उसे देखकर वे चीखे नहीं थे, यह उनकी शालीनता थी । मक्खी पड़ा प्याला अलग हटाकर अपने-अपने प्यालों से चाय पीते रहे थे । लग रहा था वे अलग-अलग नहीं, एक ही प्याले से चाय पी रहे हैं और कौशल छटपटाकर बाहर निकल गया है । भिनभिन करके पूरी कोशिश कर रहा है कि उनके सामीप्य में अवरोध पैदा कर दे, पर उसकी भिनभिनाहट उनका मनोरंजन कर रही है, सामीप्य का गठबन्धन और मजबूत कर रही है । जुगुप्सा, वितृष्णा, हिंसा कुछ भी तो नहीं था, जो उसके अस्तित्व-बो/ा को बनाए रखता । एक ओर कौशल का अपने अतीत के लिए समाज को दोषी ठहराना और इस तर्क की बिना पर समाज की भरपूर अवहेलना, वहीं माधवी का समाज की खौफनाक होती शक्ल में अपनी चुप्पी को जिम्मेदार मानना । बाद में कौशल की नजदीकी से वह स्वीकारती है कि सृजन के लिए सब कुछ जायज है, मानवीय रिश्तों का बेहिस्स इस्तेमाल भी--- ।

User ratings of Main Aur Main



Find similar books
The book Main Aur Main can be found in the following categories:

Join thousands of book lovers

Sign up to our newsletter and receive discounts and inspiration for your next reading experience.