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Priyatama

About Priyatama

चारों दिशाएँ, चौदह भुवन खाली-खाली लगते हैं, एक अध-जला दीया की रस्सी की तरह नाम के वास्ते हाथ-पैर पसारकर, गिरा हुआ हूँ मैं। यह कैसा जीवन है प्रियतमा? हर पल मैं कितने शब्द जोड़ता हूँ और तोड़ता हूँ, जुड़े-तुड़े इन्हीं शब्दों से मैं एक वाक्य की माला भी बना नहीं सका, इस जीवन में। करोड़ों तारों और चाँद और सूरज के मेले में, तुम ही तो मेरे साक्षी हो, तुम ही मेरे साक्षी हो भाव में रहकर भी कवि मर सकता है, अभाव के नरक में। इस जीवन को अकेले में जाने दो, प्रियतमा, चाहे तुम जितने न पहुँचनेवाले दुनिया में, तुम ही मेरी प्रथम और आखिरी वर्णमाला तुम ही मेरा प्रथम और आखिरी वादा। -इसी पुस्तक से

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  • Language:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9789392554834
  • Binding:
  • Hardback
  • Pages:
  • 96
  • Published:
  • November 26, 2021
  • Dimensions:
  • 140x10x216 mm.
  • Weight:
  • 272 g.
Delivery: 2-3 weeks
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Description of Priyatama

चारों दिशाएँ, चौदह भुवन खाली-खाली लगते हैं, एक अध-जला दीया की रस्सी की तरह नाम के वास्ते हाथ-पैर पसारकर, गिरा हुआ हूँ मैं। यह कैसा जीवन है प्रियतमा? हर पल मैं कितने शब्द जोड़ता हूँ और तोड़ता हूँ, जुड़े-तुड़े इन्हीं शब्दों से मैं एक वाक्य की माला भी बना नहीं सका, इस जीवन में। करोड़ों तारों और चाँद और सूरज के मेले में, तुम ही तो मेरे साक्षी हो, तुम ही मेरे साक्षी हो भाव में रहकर भी कवि मर सकता है, अभाव के नरक में। इस जीवन को अकेले में जाने दो, प्रियतमा, चाहे तुम जितने न पहुँचनेवाले दुनिया में, तुम ही मेरी प्रथम और आखिरी वर्णमाला तुम ही मेरा प्रथम और आखिरी वादा। -इसी पुस्तक से

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